US Federal Reserve Rate Cut: US Federal Reserve ने गुरुवार के दिन अपनी ब्याज दरों को 25 बेसिस पॉइंट्स (एक परसेंटेज पॉइंट के चौथाई) तक काम कर दिया। यह साल 2024 में दूसरी कटौती है। यहाँ शीर्ष बैंक द्वारा संकेत दिया गया है कि महंगाई नियंत्रण में आ रही है। Fed का यह कदम Donald Trump के President चुने जाने के 48 घंटे के भीतर आया है।
Fed Chairman का बयान
Jerome Powell, जो US Federal Reserve के Chairman है, ने प्रेस ब्रीफिंग कहा है कि अमेरिकी सेंट्रल बैंक हर संभव Economic Data को देख रहा है और यह विचार कर रहा है कि अगली मीटिंग जो दिसंबर में होगी उसमें आखिरी कटौती की जाएगी या नहीं। इस ब्रीफिंग में Powell ने विशेष रूप से यह भी कहा कि अगर उन्हें Trump इस्तीफा देने के लिए कहते हैं तो वह नहीं देंगे क्योंकि यह कानूनी तौर पर अमान्य है।
विशेषज्ञों का यह मानना है कि US में आने वाले महीनों में दरें और कम होगी पर यह चेतावनी भी दी है की Trump के भावी टैक्स कटौती की योजना, Tariff बढ़ाने के सुझावों और अवैध प्रवास के ऊपर किए जाने वाले उपायों से महंगाई और बढ़ सकती है। जिससे सरकार के ऋण दरों में वृद्धि कर सकती है इसके कारण अमेरिकी सेंट्रल बैंक में विरोध उत्पन्न हो सकता है। इन सब बातों को मद्देनज़र रखते हुए पहले ही इस हफ्ते US के ऋण खाते में बढ़त हो चुकी है।
Powell ने यह भी कहा है कि अभी आने वाली सरकार के एजेंडे के बारे में कहना और उसका US की Economy पर प्रभाव को बताना अभी जल्दबाजी होगी। फ़िलहाल के लिए चुनाव के नतीजों का हमारे निर्णय पर कोई असर नहीं होगा।
Federal Reserve & President आपसी मतभेद?

आपको शायद मालूम हो कि Powell, Fed के चेयरमैन Trump के President रहते हुए ही बने थे लेकिन वह जल्दी ही उनके आंखों की किरकिरी बन गए। Trump लगातार यह कहते रहे हैं कि President का Fed के मामलों पर अपनी बात रखने का हक होना चाहिए। उन्होंने ब्लूमबर्ग को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो Powell को अपना बचा हुआ कार्यकाल पूरा करने देंगे जो कि 2026 में खत्म होगा बशर्तें अगर उनको लगे कि वह (Powell) सही काम कर रहे हैं।
Federal Reserve Rate Cut: भारत पर असर
Trump के President चुने जाने को US स्टॉक बाजार एक सकारात्मक रवैये के साथ देख रहा है और साथ ही यह डॉलर के लिए भी अच्छा है लेकिन इसका एक नकारात्मक पक्ष यह है कि यह US के सरकारी खजाने पर और बोझ बढ़ा सकता है। इसके साथ ही भारत के लिए Trump के कार्यकाल में एक चुनौती supply chain में आने वाली रुकावट, Trade war, Tariff में बढ़ोतरी और forex मार्केट में होने वाली अस्थिरता के साथ अपने विकास के पहिए को आगे बढ़ाना है। फेडरल रिजर्व के इन कदमों का भारत की मॉनेटरी पॉलिसी पर भी असर पड़ेगा और Reserve Bank कोई भी ऋण घटाने के कदम से पहले अनिश्चितता के माहौल को खत्म करना चाहेगा।

आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि Trump के वादे के मुताबिक किए गए टैक्स कटौती और Tariff बढ़ाने जैसे कदमों से शुरुआत में US के Economy में जान तो आएगी लेकिन इससे महंगाई और ज्यादा बढ़ेगी जिसके चलते US Fed अपने इस ऋण दरों को कम करने के क्रम को जल्द से जल्द खत्म कर सकता है। इसका असर यह होगा कि भारत सहित अन्य देशों को भी अपने Economic Policy को उदार करने से पहले सोचना होगा।