Ram Rajya In 21st Century| राम राज्य की कल्पना: मानवता और आदर्शों का मार्गदर्शन| An Ultimate Way of Life 

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राम राज्य (Ram rajya) की परिकल्पना किसी एक धर्म, जाति, या समुदाय तक सीमित नहीं है। यह संपूर्ण मानव जाति के लिए है। आज इस लेख के माध्यम से इस पर और प्रकाश डालते हैं।

संपूर्ण मानव जाति को राम राज्य की आवश्यकता | Ram Rajya For Humanity

हाल ही में उत्तर प्रदेश के संबलपुर में एक विवाद हुआ, जहां हिंदू और मुस्लिम समुदायों ने एक स्थान पर अपना-अपना दावा किया। इस विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया, जिससे चार निर्दोष लोगों की जान चली गई।यह घटना समाज में गहरे तक फैले हुए असहिष्णुता और स्वार्थ की ओर संकेत करती है। इस प्रकार की घटनाएं केवल लोगों के बीच भाईचारे को नष्ट करती हैं, बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी बाधा बनती हैं।

हिंसा और आसुरी प्रवृत्ति का स्वरूप

हर हिंसक घटना का कारण केवल एक चीज़ है—आसुरी प्रवृत्ति। यह प्रवृत्ति स्वार्थ, घृणा और “हम” की भावना से प्रेरित होती है। यह भावना लोगों को एक-दूसरे के प्रति कठोर और हिंसक बनाती है। चाहे यह गांवों में जमीन के विवाद हों या धर्म और संप्रदाय से जुड़ी घटनाएं, इनका आधार मानवीय मूल्यों का पतन ही है।

हिंसा केवल शारीरिक रूप से नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी समाज को खंडित करती है। यह प्रवृत्ति इंसान को नैतिक रूप से कमजोर बनाती है और उसकी सोच को संकीर्ण कर देती है। इस प्रवृत्ति का नाश तभी हो सकता है जब व्यक्ति अपने विचारों और कर्मों को सात्विकता की ओर मोड़े।

Ram Rajya
स्रोत -रामचरितमानस

सात्विक विचारों का महत्व

सात्विक प्रवृत्ति का अर्थ है, वह विचारधारा जो दूसरों को सुख पहुंचाने और उनके दुखों को कम करने पर केंद्रित हो। ऐसे व्यक्ति न केवल स्वयं शांत और सुखी रहते हैं, बल्कि अपने आसपास भी शांति का वातावरण बनाते हैं।

आज के समय में, हालांकि हिंसा और स्वार्थ का बोलबाला है, फिर भी समाज में ऐसे लोग मौजूद हैं जो निःस्वार्थ भाव से मानवता की सेवा करते हैं। ये लोग अपने कर्मों का प्रचार नहीं करते और न ही किसी धर्म, जाति, या संप्रदाय में भेदभाव करते हैं। सात्विक विचारों वाले व्यक्ति हमेशा दूसरों के दुखों को बांटने के लिए तत्पर रहते हैं।

हिंसा का धर्म या जाति से संबंध नहीं

कई लोग यह मानते हैं कि धर्म और जाति हिंसा का कारण हैं। लेकिन यह सत्य नहीं है। इतिहास और वर्तमान दोनों इस बात का उदाहरण हैं कि हिंसा का संबंध जाति या धर्म से नहीं, बल्कि विचारों से है।

ऐसे गांव हैं जहां केवल एक ही जाति के लोग रहते हैं, फिर भी आपसी विवाद और हिंसा देखने को मिलती है। इसी प्रकार, ऐसे देश भी हैं जहां एक ही धर्म के लोग रहते हैं, फिर भी वहां संघर्ष होते हैं। इसका सीधा अर्थ है कि हिंसा का आधार जाति या धर्म नहीं, बल्कि विचारों और प्रवृत्तियों का अंतर है।

राम राज्य (Ram rajya): आदर्श समाज की नींव

भारतीय संस्कृति हमेशा से “वसुधैव कुटुंबकम्” का संदेश देती आई है। इसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है। यह सोच तभी साकार हो सकती है जब हर व्यक्ति अपने सुखों को त्यागकर दूसरों की भलाई के लिए काम करे। राम राज्य इसी विचार का प्रतीक है।

राम राज्य का अर्थ केवल एक राजनीतिक व्यवस्था नहीं है, बल्कि यह ऐसा समाज है जहां हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करता है, दूसरों के अधिकारों का सम्मान करता है, और सभी के लिए समान अवसर उपलब्ध होते हैं।

श्रीराम का जीवन इस आदर्श का सबसे बड़ा उदाहरण है। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों को त्यागकर समाज के कल्याण के लिए काम किया। उनके आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को सही दिशा दिखा सकते हैं।

समाज की वर्तमान स्थिति

आज का समाज बाहरी रूप से भले ही प्रगतिशील दिखता हो, लेकिन अंदर से यह कमजोर और अस्थिर हो चुका है। धर्म और जाति के नाम पर फैलाया जा रहा पाखंड, छल-कपट और स्वार्थ समाज को भीतर से खोखला कर रहा है।

हिंसक घटनाएं, चाहे वे धर्म के नाम पर हों या किसी अन्य कारण से, भारतीय संस्कृति और मूल्यों का विनाश कर रही हैं। राम राज्य (Ram rajya) की कल्पना तभी संभव है जब लोग अपने-अपने स्वार्थों से ऊपर उठकर मानवता के लिए काम करें।

निष्कर्ष

राम राज्य (Ram rajya) की परिकल्पना केवल एक विचार नहीं, बल्कि समाज के पुनर्निर्माण का मार्ग है। यह हर व्यक्ति से अपेक्षा करता है कि वह अपने विचारों को सात्विक बनाए और दूसरों के लिए जीने की भावना विकसित करे।

आज की परिस्थितियों में, जहां हिंसा, स्वार्थ, और घृणा ने समाज को बांट रखा है, राम के आदर्श ही वह मार्ग हैं जो समाज को सही दिशा दिखा सकते हैं। श्रीराम केवल हिंदुओं के भगवान नहीं हैं, बल्कि उनके आदर्श संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं।

यदि हम राम के आदर्शों को अपनाएं और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलें, तो न केवल हमारा समाज सुखी होगा, बल्कि राम राज्य (Ram rajya) की परिकल्पना भी साकार होगी। यही भारतीय संस्कृति की सच्ची जीत होगी।




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Ram Kishore

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नमस्कार दोस्तों! मैं एक समर्पित कृष्णभक्त हूँ। मैं धार्मिक ग्रंथो के अध्ययन में रूचि रखता हूँ। मेरा उद्देश्य अपने लेखों के माध्यम से ग्रंथो पर आधारित जीवन दर्शन को पाठकों तक पहुँचाना है। क्योंकि मेरा मानना है कि ईश्वर के साथ खुद को जोड़कर ही जीवन के हर क्षेत्र में सच्चे आनंद और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

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