Shyam Benegal: Indian Parallel Cinema के जनक श्याम बेनेगल नहीं रहे

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नमस्कार दोस्तों। भारतीय सिनेमा जगत के महान फ़िल्मकार श्याम बेनेगल (Shyam Benegal) अभी हाल ही में 14 दिसंबर को 90 साल के हुए थे। उसके तुरंत बाद ही उन्हें मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी। जानते हैं उनसे जुडी कुछ खास बातें    

श्याम बेनेगल का व्यक्तिगत जीवन| Personal Life Of Shyam Benegal   

Shyam Benegal  हैदराबाद में श्रीधर बी बेनेगल के घर पैदा हुए थे जो एक जाने माने फोटोग्राफर थे। वह महान  फिल्म मेकर गुरुदत्त के दूसरे चचेरे भाई भी थे। इस महान फिल्म मेकर की पत्नी नीरा बेनेगल और बेटी पिया बेनेगल हैं। उन्हें मुंबई के वॉकहार्ट हॉस्पिटल के आईसीयू में एडमिट करवाया गया था। उनकी बेटी ने बताया कि उनके पिता को काफी समय से किडनी की बीमारी थी और आज 23 दिसंबर की शाम 6:38 पर मुंबई सेंट्रल के वॉकहार्ट हॉस्पिटल में ही दुनिया से विदा हो गए। उन्हें कई सालों से क्रॉनिक किडनी डिजीज थी। लेकिन अभी बहुत बुरी स्थिति हो गयी थी। यही उनकी मौत का कारण था। 

Shyam Benegal का जूनून था फिल्म मेकिंग 

अपने 90वे जन्मदिन पर श्याम बेनेगल ने एक न्यूज़ एजेंसी को बताया। वह दो-तीन प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “हम सभी बूढ़े होते हैं, और मैंने कोई महान काम नहीं किया। मेरे बर्थडे पर यह एक स्पेशल डे हो सकता है। लेकिन मैं इसे कुछ अलग तरह से सेलिब्रेट नहीं करूंगा। मैं ऑफिस में मेरी टीम के साथ केक काटूंगा।”

इतनी कठिनाइयों के बावजूद और डायलिसिस के लिए वीक में तीन बार हॉस्पिटल जाने के बावजूद भी श्याम बेनेगल का फिल्म बनाने के लिए पैशन हमेशा जिंदा रहा। उन्होंने कहा था कि “मैं दो-तीन प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं वह सभी एक दूसरे से अलग है ऐसा कहना मुश्किल होगा कि मैं वास्तव कौन सा बनाऊंगा।”

2023 के बायोग्राफिकल मूवी “मुजीब, द मेकिंग ऑफ ए नेशन” उनकी आखिरी फिल्म थी। 

श्याम बेनेगल का फ़िल्मी करियर| Shyam Benegal Filmography 

श्याम बेनेगल ने भारत के पैरेलल सिनेमा आंदोलन को एक नई ऊंचाई दी। जो एक रियलिस्टिक सिनेमा बनाने और सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए था। इस तरह की फिल्मों ने मेनस्ट्रीम सिनेमा से अलग एक नई पहचान बनाई। 

Shyam Benegal
Shyam Benegal Classics

अपने शानदार करियर में श्याम बेनेगल ने कई सारे मुद्दों पर डॉक्यूमेंट्री और टेलीविजन सीरियल बनाए जैसे ‘भारत एक खोज’, ‘संविधान’। उन्होंने कई फिल्में भी बनाई। उनकी फिल्में जैसे ‘भूमिका’, ‘जुनून’, ‘मंडी’, ‘सूरज का सातवां घोड़ा’, ‘मम्मो’ और ‘सरदारी बेगम’ हिंदी सिनेमा में क्लासिक माने जाते हैं।  

श्याम बेनेगल ने अपना कैरियर एक कॉपीराइटर के तौर पर  शुरू किया था और उन्होंने अपनी पहली डॉक्यूमेंट्री फिल्म 1962 में गुजराती में बनायी थी जिसका नाम था ‘घेर बेठा  गंगा’ था।  उनकी पहली चार फीचर फिल्मों;  ‘अंकुर’ (1973), ‘निशांत’ (1975), ‘मंथन’ (1976) और ‘भूमिका’ (1977) ने  उन्हें नयी धारा के फिल्म (New Wave Cinema) आंदोलन का जनक बनाया।

उन्होंने 1980 से 1986 के बीच नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (NFDC) के डायरेक्टर के रूप में भी अपनी सेवाएं दी। उनकी फिल्म ‘मंडी’ (1983) राजनीति और वैश्यावृति के ऊपर एक व्यंग्य की तरह जानी जाती है।  इस फिल्म में शबाना आज़मी और स्मिता पाटिल जैसी अदाकाराओं ने काम किया था। बाद में उन्होंने खुद की स्टोरी पर काम करते हुए, जो पुर्तगालियों के गोवा में आखिरी दिनों के ऊपर थी,  ‘त्रिकाल’ बनायी। जिसमें उन्होंने मानव जीवन के रिश्तों को बखूबी परदे पर उतारा था।   


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Uday Pratap Singh

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नमस्कार मित्रों ! मैं एक ब्लॉगर और इस न्यूज़ वेबसाइट का संपादक (Editor) हूँ। मेरा लक्ष्य पाठकों को दैनिक समाचारों के साथ कुछ जीवन में बदलाव लाने के लिए उपयोगी लेख प्रस्तुत करना है। आशा है कि आप हमसे जुड़कर खुद को पाठक से बढ़कर एक दार्शनिक अनुभव करेंगे।

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