नमस्कार दोस्तों! अभी हाल ही में Geoscience Museum Gwalior का उद्घाटन हुआ था। मैंने खुद इस म्यूजियम में जाकर देखा। अपनी विजिट के एक्सपीरियंस को इस आर्टिकल के द्वारा आप सबके साथ शेयर करूँगा। पूरी जानकारी के लिए जुड़े रहिये।
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महामहिम उपराष्ट्रपति ने किया था उद्घाटन
इस म्यूजियम का उद्घाटन 15 दिसंबर को महामहिम उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी द्वारा, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटेल जी, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर जी सहित कई गणमान्य जनों की उपस्थिति में हुआ था।
ग्वालियर में नए आकर्षण का केंद्र: Geoscience Museum Gwalior
ग्वालियर में स्थित GSI जिओ साइंस म्यूजियम न केवल मध्य प्रदेश बल्कि भारत का पहला जिओ साइंस म्यूजियम है। जो विश्व की अनोखी जानकारी व घटनाओं का प्रमुख केंद्र है। जहां मानव सभ्यता व भू विज्ञान से संबंधित खनिजो, तत्वों को सहेजा गया है। जो न केवल पर्यटकों बल्कि शोधार्थी (रिसर्च/थीसिस) छात्रों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
दो आकर्षक गैलरी में विभाजित है Geoscience Museum Gwalior
एक गैलरी में पृथ्वी के विकास की विस्तृत जानकारी है और दूसरी गैलरी में जीवन के विकास की संपूर्ण जानकारी संरक्षित की गई है। प्रवेश द्वार के सामने ही एक विशाल हाथी के दांत व सर स्थित है। जिसे स्टेगोडन गणेशा कहा जाता है।
स्टेगोडन गणेशा
हाथियों से संबंधित स्टेगोडन गणेशा, सूंड वाले जानवर, की एक विलुप्त प्रजाति है। इस प्रजाति का नाम हिंदू भगवान गणेश के नाम पर रखा गया है। इनके जीवाश्म अवशेष शिवालिक समूह की अवसादी चट्टान में मिले हैं। एक पूर्ण विकसित जानवर के बाहरी दाँत लंबाई में 10 फीट या उससे अधिक तक हो सकती थी और दाढ़ का घेरा 2 फीट तक हो सकता था। यहां प्रदर्शित स्टेगोडन गणेशा के बाहरी दाँत सहित खोपड़ी की प्रतिकृति शिमला, हिमाचल प्रदेश के पास शिवालिक पहाड़ी से प्राप्त की गई है। ये प्रजातियां लगभग 53 लाख वर्ष पूर्व प्लियोसीन युग के दौरान प्रकट हुई थीं और 16 लाख वर्ष पहले तक इनका अस्तित्व रहा।

Geoscience Museum Gwalior पहली गैलरी
खनिज
गैलरी की शुरुआत में ही पृथ्वी पर पाए जाने वाले सभी खनिजों के नमूने संरक्षित (preserve) किए गए हैं। जिसमें विभिन्न पत्थर जैसे संगमरमर ,ग्रेनाइट ,कोयला, बालू क्वार्टज, पगमाटाइज इत्यादि प्रमुख है। यह सभी पत्थर पृथ्वी के विभिन्न कोनों से शोध करके लाये गए हैं। जो पृथ्वी के विकास की कहानी कहते हैं।

भूकंप मापी
इसमें भूकंप की तरंगों को नापने वाला यंत्र भी लगाया गया है। जिसमें दर्शक भूकंप की गति और उससे उत्पन्न होने वाली तरंगें और पृथ्वी में होने वाले कंपन को समझ सकते हैं। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर चल रही जानकारी के माध्यम से इसकी विस्तृत जानकारी ले सकते हैं।
भूकंप मशीन
गैलरी में एक मशीन रखी गई है। जो वास्तविक भूकंप का आभास कराती है। उस पर खड़े होकर आप वास्तविक भूकंप का अनुभव कर सकते हैं। साथ ही भूकंप के समय होने वाली गतिविधि व भौगोलिक हलचल को समझ सकते हैं।

हमारे ग्रह पृथ्वी का जन्म
इस गैलरी में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और लेखों के माध्यम से पृथ्वी के जन्म के बारे में भी दर्शाया गया है।
ऐसा माना जाता है कि ग्रहों की उत्पति नए तारों के गैस और धूल के विशाल आवरण से होती है। धूल के छोटे- छोटे कण जब एक तारे का चक्कर लगाते हैं और एक दूसरे से टकराते हैं तो कुछ सामग्री फ्यूज होने लगती है, ठीक उसी तरह से जैसे एक लुढ़कता हुआ बर्फ का गोला अंततः एक बड़ा बर्फ का गोला बन जाता है। लगभग 4.6 अरब वर्ष पहले, पदार्थ के गुच्छे इतने बड़े हो गए थे कि गुरुत्वाकर्षण बल ने उन्हें हमारी पृथ्वी जैसे ग्रह के रूप में आकार दिया।
गैलरी में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के माध्यम से महाद्वीपों की बनावट, पृथ्वी के केंद्र बिंदु एवं पृथ्वी की भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन बहुत सुंदर तरीके से किया गया है।

पैंजिया की परिचयात्मक अवधारणा (The introductory concept of Pangaea)
लगभग 29 करोड़ से 27 करोड़ वर्ष पहले, पृथ्वी के लगभग सभी भू-भाग एक ही विशालतम महाद्वीप के रूप में एक दूसरे के साथ जुड़े हुए थे, जिसे पैंजिया कहा जाता है। ये विशाल भूखंड पैनथालासा नामक एक ही महासागर से घिरा हुआ था। लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले जुरासिक युग के दौरान इस विशाल महाद्वीप का टूटना शुरू हुआ। इस घटना के परिणामस्वरूप आधुनिक महाद्वीपों एवं अटलांटिक और हिन्द महासागर का निर्माण हुआ ।

हमारी पृथ्वी के साढ़े चार अरब सालों के दौरान, पृथ्वी के मेंटल में मंथन और परिसंचरण (churning & circulation) के कारण कई महाद्वीप बने और विखंडित भी हुए। भूखंडों के एक साथ जुड़ने और जुड़े हुए महाद्वीपों के टूटने की घटनाओं की श्रृंखला ने पृथ्वी के क्रमिक (gradual) विकास के इतिहास को नाटकीय रूप से परिवर्तित किया है।
ज्वालामुखी (Volcano)
ज्वालामुखी की संरचना इस गैलरी को और अधिक आकर्षक बनाती है। जिसे लाइट और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सजीव बनाया गया है। जो शोधार्थियों के लिए काफी लाभप्रद है।

Geoscience Museum Gwalior: दूसरी गैलरी
गैलरी के दूसरे भाग में जीवन के विकास को विस्तृत रूप से दर्शाया गया है। साथ ही मानव सभ्यता के बढ़ते क्रम में अवशेष भी संरक्षित किए गए हैं। जिसमें चिंपांजी, गोरिल्ला और मानव की उंगलियां ,खोपड़ी इत्यादि रखे गये हैं। इसमें डायनासोर के अंडे सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र हैं। डायनासोर की विभिन्न प्रजातियों के कृत्रिम (artificial) चित्र, ऊतक (tissues), जीवाणु के लेख उपलब्ध है। साथ ही गैलरी के अंत में प्राचीन कल में पाये गए ढांचे के अनुसार कृत्रिम रूप (artificially) से बनाया गया प्राचीन मानव शरीर है। जो आज से लाखों वर्ष पुराना स्वरूप बताया जाता है।

Geoscience Museum Gwalior का टिकट प्राइस
म्यूजियम का टिकट स्टूडेंट के लिए 10 रुपए, आम लोगों के लिए 20 रूपए और विदेशियों के लिए 250 रुपए रखा गया है।
निष्कर्ष| Geoscience Museum Gwalior: Conclusion
सभी उम्र के लोगों के लिए उपयोगी यह Geoscience Museum Gwalior, ग्वालियर का गौरव बन गया है। छात्रों, शोधार्थियों और पर्यटकों के लिए यह जगह अनमोल है। अगर आप भी भूगर्भीय विज्ञान और इतिहास में रुचि रखते हैं, तो यह म्यूजियम आपकी यात्रा सूची में अवश्य शामिल होना चाहिए।