One Nation One Election| एक राष्ट्र एक चुनाव। A Vision For 2029 Election  

Support & Share

नमस्कार दोस्तों! आज के समय में One Nation One Election सभी के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। इसका कारण यह है कि मोदी कैबिनेट के द्वारा One Nation One Election को मंजूरी मिल गई है। अब इसको संसद में पेश किया जाना है और इसके बाद यह जेपीसी समिति के पास चर्चा व संशोधन के लिए जाएगा। आइए इसे अच्छे से समझते हैं। 

What Is ‘One Nation One Election’| क्या है एक राष्ट्र एक चुनाव?

इसका सीधा सरल अर्थ एक देश और एक चुनाव से है। जहां लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग न कराए जाते हुए एक साथ कराए जाएं। एक ऐसी व्यवस्था जहां देश में पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक के चुनाव एक बार में संपन्न कर लिए जाएं। One Nation One Election की चर्चा पिछले लोकसभा चुनाव से ही चलती आ रही है।

‘One Nation One Election’ Benefits| ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से लाभ  

  • वन नेशन वन इलेक्शन का सबसे पहले लाभ तो यही है कि बार-बार चुनाव के चलते लगाई गई अचार संहिताओं से जो विकास कार्य बाधित होते हैं। उन कार्यों में निरंतरता व तेजी आएगी आएगी।
  • इससे बार-बार होने वाला चुनावी खर्च भी कम पड़ेगा, साथ ही व्यवस्था में लगने वाले संसाधन व सैन्य बलों का खर्चा भी कम होगा।
  • वन नेशन वन इलेक्शन से न केवल एक बार में सभी जनप्रतिनिधियों को चुन लिया जाएगा। बल्कि बार-बार होने वाली घटनाओं व चुनावी सर गर्मी से बचा जा सकेगा
  • देश में शिक्षकों सहित कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग अपना अधिकांश समय किसी न किसी चुनाव में व्यय करता है। यदि एक साथ चुनाव करा लिए जाते हैं तो शिक्षक व अन्य कर्मचारी अपने मौलिक काम सही ढंग से कर पाएंगे।
  • वर्तमान में लगभग हर वर्ष किसी न किसी प्रदेश में चुनाव होते रहते हैं। जिससे देश का मीडिया जमीनी समस्याओं पर केंद्रित न हो करके, वर्ष भर चुनाव पर ही केंद्रित रहता है। एक बार चुनाव हो जाने से मीडिया भी जनता के मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा।

‘One Nation One Election’ Disadvantages| ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ से हानि 

  • हमारे देश में उपचुनाव का भी प्रचलन है। किसी जनप्रतिनिधि के इस्तीफा देने व दिवंगत होने के चलते जो उपचुनाव होंगे, उससे वन नेशन वन इलेक्शन की व्यवस्था असफल हो जाएगी।
  • समय-समय पर विभिन्न स्तरों के चुनाव के चलते नेताओं और जनप्रतिनिधियों का जनता से जो जुड़ाव होता है। एक बार चुनाव की व्यवस्था से वह जुड़ाव भी खत्म हो जाएगा।
  • दल बदल कानून , उपचुनाव प्रणाली इत्यादि के चलते वन नेशन वन इलेक्शन व्यवस्था असफल रहेगी।
  • बार-बार चुनाव से होर्डिंग, बैनर्स, फूलमाला बुके इत्यादि का बाजार मंद पड़ जाएगा। जो कि एक बड़े वर्ग की आजीविका का सहारा है।
  • भारत में विभिन्न स्तरों के चुनाव में विभिन्न राजनीतिक समीकरणों के आधार पर जनप्रतिनिधियों को चुनने का प्रचलन है। एक बार की चुनाव व्यवस्था में जनता द्वारा भ्रमित होकर गलत प्रतिनिधि के चुनाव की आशंका अधिक बढ़ जाएगी।

One Nation One Election पर विशेषज्ञों की राय 

One Nation One Election पर विशेषज्ञों की मानें तो वर्तमान भारत की आवश्यकताओं के अनुसार यह एक उचित कदम होगा। जो न केवल आर्थिक बोझ को कम करेगा, बल्कि विकास कार्य में आ रहे अनावश्यक अवरोध को भी खत्म कर देगा। इससे एक बार में ही पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री तक चुन लिया जाएगा। जो आने वाले 5 वर्षों तक बिना किसी अवरोध व बिना किसी आचार संहिता के विलंब के विकास कार्य को संचालित रख सकेगा।

One Nation One Election
One Nation One Election

इसी सत्र में पेश होना है One Nation One Election बिल 

सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार इस बिल को संसद के इसी सत्र में पेश कर सकती है। इस बिल को केन्द्रीय  कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पेश करेंगे। सूत्रों की माने तो यह बिल मंगलवार 17 दिसंबर को संसद में पेश किया जा सकता है। इस बिल को संसद में पास करने के लिए मोदी सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है। जिसके आधार पर संसद के दोनों सदनों में बिल आसानी से पास हो जाएगा जिसके बाद यह बिल राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा।


Support & Share

shivam singh

Author Box

मैं शिवम सिंह तोमर ( कवि / समाजसेवी / विधि छात्र/ लेखक ); सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं कानूनी विषयों पर लेख व समीक्षा लिखता हूँ। मैं वर्तमान में विधि का छात्र हूँ जिसके चलते कानूनी विषयों पर शोध पत्र व लेख लिखता हूँ। सामाजिक व साहित्यिक जीवन में कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं। कविता के दो साझा संग्रह (पुस्तक) पाठकों के लिए उपलब्ध हैं।

Leave a Comment