नमस्कार दोस्तों! जीवन के 7 सुख (Saat Sukh) शास्त्रों के अनुसार कौन से हैं ? आज इस लेख में हम इसी की बात करेंगे। जुड़े रहिये हमारे साथ इस लेख में और सफल बनाइये अपना जीवन।
Table of Contents
सात सुख (Saat Sukh) के नाम
- निरोगी काया
- घर में माया
- कुलवंती नारी
- पुत्र आज्ञाकारी
- सुंदर वास
- राजकीय हिस्सेदारी
- मित्र घनेरे
सात सुख (Saat Sukh) विस्तार से
- निरोगी काया – इसका अर्थ है स्वस्थ शरीर। हमें देखना है कि आधुनिक जीवन शैली में हम शारीरिक रूप से कितने निरोग हैं। इस आधुनिक समय में मनमाने ढंग से अपने दैनिक जीवन के कार्य करना ही रोगों का कारण है। ऐसा नियम है कि रात को जल्दी सोना चाहिए और सुबह सूर्योदय से पहले जाग जाना चाहिए। कुछ कसरत व्यायाम आदि को अपने जीवन में शामिल करें। इसके साथ आपका भोजन भी महत्वपूर्ण होता है। आपका भोजन सात्विक होना चाहिए। भोजन ज्यादा तीखा ना हो, ज्यादा गर्म ना हो और पचने में आसान हो। भोजन समय पर होना चाहिए। अगर अपने जीवन में नियमों का पालन करेंगे तो पहला सुख प्राप्त किया जा सकता है।
- घर में माया – व्यक्ति के जीवन में धन का विशेष महत्व है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि किसी भी तरह से धन कमाया जाये। अगर आपका धन मेहनत और ईमानदारी से कमाया गया है तो वह आपको निश्चित ही सुख देगा। छल- कपट, बेईमानी और अनैतिक तरीकों से कमाया हुआ धन हमें सांसारिक सुख नहीं दे सकता। केवल पुरुषार्थ से कमाया हुआ धन ही सुख दे सकता है।
- कुलवंती नारी- इसका तात्पर्य धर्मपत्नी से है जो कि अच्छे कुल की और संस्कारी हो । आपने जिसके साथ विवाह अपने माता-पिता और समाज के मध्य किया होगा वह निश्चित ही आपको सुख देगी। माता-पिता और समाज की मर्यादाओं का उल्लंघन करके लाई गई पत्नी आपको सांसारिक सुख नहीं दे सकती। धर्म पत्नी से तात्पर्य है कि वह अपने पति को धर्म और कर्तव्य पालन में लगाए न कि अपने व्यक्तिगत सुख में।
- पुत्र आज्ञाकारी – आज्ञाकारी पुत्र तब ही हो सकता है जब आपने स्वयं धर्म अथवा कर्तव्य का पालन किया हो। जब ऐसा होगा तो आपका पुत्र आपकी कीर्ति या यश को बढ़ाएगा। वह आपको समाज के सामने कभी लज्जित नहीं होने देगा। वह स्वयं भी मर्यादित जीवन जियेगा। इस प्रकार का पुत्र निश्चित ही आपको सुख देगा।
- सुंदर कर वासा – इससे तात्पर्य है कि व्यक्ति को अपना निवास सोच समझकर अच्छे स्थान पर बनाना चाहिए। अच्छा तो ये होगा कि जन्मभूमि, तीर्थ धाम या कोई भी धार्मिक स्थान पर घर बनाया जाये।
- राजकीय हिस्सेदारी – इससे तात्पर्य है कि आपका राजकाज, सत्ता में स्थान या परिचय होना चाहिए जिससे आप प्रतिकूल परिस्थितियों के आने पर शासन से सहायता प्राप्त कर सकें ।
- मित्र घनेरे – इस सुख से तात्पर्य अच्छी संख्या में मित्रों के होने से है। आजकल के फेसबुक या सोशल मीडिया वाले मित्र नहीं है बल्कि ऐसे मित्र जो जीवन में अगर खराब समय आए तो आपका साथ ना छोड़े। उदाहरण के लिए हम महाभारत काल के करण को ले सकते हैं जिसे यह ज्ञात था की अर्जुन उसका भाई है और दुर्योधन अधर्मी है। फिर भी मित्र के लिए राजसत्ता और परिवार को छोड़ दिया इस प्रकार का मित्र आपको निश्चित ही सांसारिक सुख देगा।

7 सुखों (Saat Sukh) के लिए धर्म या कर्तव्य को आसान भाषा में कैसे समझें ?
जब तक व्यक्ति अपने धर्म या कर्तव्य का पालन नहीं करता तब तक वह सांसारिक सुख से दूर ही रहेगा। धर्म या कर्तव्य को इस तरह से समझ सकते हैं। मान लीजिए कि किसी को पहरे पर बिठा दिया है जिसका काम सुबह 10:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक पहरा देना है। जब व्यक्ति ये माने कि मालिक देखे या ना देखे उसे अपना काम इमानदारी से करना है तब वह व्यक्ति अपने धर्म या कर्तव्य का पालन कर रहा है।
इस तरह की कर्तव्य निष्ठा आज के समय में कम ही देखने को मिलती है। इसलिए हमारे समाज का नैतिक पतन होने लगा है। निष्काम भाव से किया गया कर्तव्य या आचरण धर्म कहलाएगा। इस तरह के मार्ग पर चलकर ही उसे लेख में बताए हुए सातों सुखों की प्राप्ति होगी।
शास्त्रों में बताये हुए 7 सुखों (Saat Sukh) को जीवन का लक्ष्य का बनाना चाहिए। तभी इस सांसारिक जीवन को सफल माना जायेगा।
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