Terrorism In J&K: क्या आतंकी अब सोशल मीडिया से करेंगे नयी भर्ती?| Is Peace Under Threat?

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POK और पाकिस्तान में स्थापित आतंकी संगठनों की सोशल मीडिया पर गतिविधि सुरक्षा एजेंसियों के चिंता का विषय बनी हुई है क्योंकि यह गतिविधि जम्मू और कश्मीर में युवाओं को अपने साथ आतंकी समूह में शामिल करने की योजना पर आधारित है। आतंकियों के सोशल मीडिया हैंडल, इन पोस्ट में Terrorism को Glorify कर रहे हैं, अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं और Anti-India एजेंडे को हवा दे रहे हैं। जानते हैं विस्तार से-

सोशल मीडिया पर पहले से ज़्यादा एक्टिव| Terrorism Through Social Media

सुरक्षा एजेंसी के एनालिसिस के अनुसार इन सभी सोशल मीडिया अकाउंट से पिछले महीने 2000 से ज्यादा पोस्ट की जा चुकी है जिनमें  फेसबुक, डार्क वेब और  टेलीग्राम जैसे प्लेटफार्म शामिल है। इनमें से 130 से ज्यादा पोस्ट सीधे Terrorism से संबंधित, 33 से ज्यादा अलगाववाद को बढ़ावा देने और 310 से ज्यादा सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की धमकियों से भरी हुई है। 

terrorism in j&k
PEACE OR TERRORISM

युवाओं का ब्रेन वाश करने की है योजना

हम जानते हैं की सोशल मीडिया से युवाओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता  है। तो इस तरह के सोशल मीडिया हैंडल युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, उन्हें बहकाने और भारत के खिलाफ साजिश करने का काम कर रहे हैं। आपको याद होगा ठीक इसी तरह 2016 से पहले बुरहान वानी को यूथ आइकॉन बना दिया गया था हालाँकि  बाद में वह मारा गया और उसके बाद से जम्मू और कश्मीर में आतंकी गतिविधियां कम होने लगी थी। युवाओं का इन संगठनों में शामिल होना भी बहुत कम हो गया था। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इस साल सिर्फ चार युवा आतंकी संगठनों में शामिल हुए जो के 2023 में 22 और 2022 में 113 थे।

जम्मू और कश्मीर में अभी भी 30 के लगभग स्थानीय आतंकी और 80 विदेशी आतंकी सक्रिय हैं। स्थानीय युवाओं को संगठन में शामिल करने की कोशिश अगले साल की गर्मियों में घाटी का माहौल खराब करने के लिए हो सकता है। क्योंकि सर्दियों में आतंकी संगठन कम सक्रिय होते हैं तो इसका इस्तेमाल वह अपनी तादाद को बढ़ाने में कर रहे हैं। 

प्रशासन और सुरक्षाबल है तैयार

स्थानीय युवाओं का आतंकी संगठनों में कम होना प्रशासन की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी और सुरक्षा एजेंसियों के अलर्ट रहने का परिणाम है। जो की न केवल Terrorism से मुकाबला कर रही है बल्कि terrorism के पूरे इकोसिस्टम पर चोट पहुंचा रही है।

रोचक तथ्य यह है की आतंकी संगठनों का सोशल मीडिया पर सक्रिय होना जम्मू और कश्मीर में चुनाव होने के बाद चुनी हुई सरकार स्थापित होने के समय हुआ। एजेंसियां जांच कर रही हैं। शासन के बदले हुए समीकरण कहीं आतंकी संगठनों के गलत इरादों का कारण तो नहीं बन रहा है। पुलिस बल प्रयोग का अधिकार अभी भी लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास ही है। 

सुरक्षा एजेंसीयों के ईंटेल के अनुसार  पाकिस्तान की ISI, JeI (जमात-ए-इस्लामी) के नेताओं को निशाना बना सकती है। क्योंकि जमात के नेताओं ने चुनाव में हिस्सा लिया था। ये सब जनता के बीच अशांति फ़ैलाने के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही J&K में ड्रोन्स का दिखना भी एक समस्या बना हुआ है। इस साल अक्टूबर तक 40 बार ड्रोन्स देखे जा चुके हैं।

* Facts are collected from the news in public domain.  


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Uday Pratap Singh

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नमस्कार मित्रों ! मैं एक ब्लॉगर और इस न्यूज़ वेबसाइट का संपादक (Editor) हूँ। मेरा लक्ष्य पाठकों को दैनिक समाचारों के साथ कुछ जीवन में बदलाव लाने के लिए उपयोगी लेख प्रस्तुत करना है। आशा है कि आप हमसे जुड़कर खुद को पाठक से बढ़कर एक दार्शनिक अनुभव करेंगे।

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